भाई दोज




भाईभाईदूज के दिन भाई की आयु बढ़ाने के लिये करे ये उपाय



दिनांक 29 अक्टूबर 2019 दिन मंगलवार का  हिन्दू पंचांग


विक्रम संवत - 2076, शक संवत -1941
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - कार्तिक, पक्ष - शुक्ल 
तिथि - द्वितीया 30 अक्टूबर रात्रि 03:48 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र - विशाखा रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग - आयुष्मान् शाम 03:04 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल - दोपहर 02:49 से शाम 04:23 तक
सूर्योदय - 06:40,   सूर्यास्त - 18:03
दिशाशूल - उत्तर दिशा


व्रत पर्व विवरण - चन्द्रदर्शन, भाईदूज, यम-भरत द्वितीया, विश्वकर्मा-पूजन
 
विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
         
                     हिन्दू पंचांग में भाईदूज


भाईदूज के दिन भाई, बहन के घर का ही खाना खाए। ऐसा करने से भाई की आयुवृद्धि होती है। पहला नेवाला बहन के हाथ से खाएं। स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन जो बहन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एवं उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है। अगर बहन न हो तो मुँहबोली बहिन या मौसी/मामा की पुत्री को बहन मान लें। अगर वह भी न हो तो किसी गाय अथवा नदी को ही बहन बना ले और उसके पास भोजन करे। कहने का मतलब यह हैं कि यमद्वितीया को कभी भी अपने घर भोजन नहीं करे।



 *आज के दिन बहन अपने भाई की 3 बार आरती जरूर उतारे।


*आज के दिन बहन भाई को तथा भाई बहेन को कोई न कोई उपहार जरूर दे स्कंदपुराण के अनुसार विशेषतः वस्त्र तथा आभूषण। आज के दिन भाई बहन का यमुना जी में नहाना भी बहुत शुभ है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना जी में स्नान करने वाला पुरुष यमलोक का दर्शन नहीं करता।


नारदपुराण के अनुसार


 ऊर्ज्जशुक्लद्वितीयायां यमो यमुनया पुरा ।।
भोजितः स्वगृहे तेन द्वितीयैषा यमाह्वया ।।
पुष्टिप्रवर्द्धनं चात्र भगिन्या भोजनं गृहे ।।
वस्त्रालंकारपूर्वं तु तस्मै देयमतः परम् ।।
यस्यां तिथौ यमुनया यमराजदेवः संभोजितो निजकरात्स्वसृसौहृदेन ।।
तस्यां स्वसुः करतलादिह यो भुनक्ति प्राप्नोति रत्नधनधान्यमनुत्तमं सः ।।


कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्वकाल में यमुनाजी ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था, इसलिए यह 'यमद्वितीया' कहलाती है। इसमें बहेन के घर भोजन करना पुष्टिवर्धक बताया गया है। अतः बहेन को उस दिन वस्त्र और आभूषण देने चाहिए। उस तिथि को जो बहेन के हाथ से इस लोक में भोजन करता है, वह सर्वोत्तम रत्न, धन और धान्य पाता है ।
        


    भाई दूज
कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 29 अक्टूबर, मंगलवार को है। यह पर्व भाई-बहेन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन बहेन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस पर्व का महत्व इस प्रकार है-
     
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके भोजन कराया था। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। 
सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा है उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। 
यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और  यमुना और यमराज की पूजा करने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।


भाई की उम्र बढ़ानी है तो करें यमराज से प्रार्थना


 सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। 


बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें और प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें।
  
इसके बाद बहन भाई को भोजन कराती हैं। भोजन के बाद भाई को तिलक लगाती है। इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट देता है। जिसमें स्वर्ग, आभूषण, वस्त्र आदि प्रमुखता से दिए जाते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास भी प्रचलित है कि इस दिन बहेन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।




नांक 29 अक्टूबर 2019 दिन मंगलवार का  हिन्दू पंचांग






विक्रम संवत - 2076, शक संवत -1941
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - कार्तिक, पक्ष - शुक्ल 
तिथि - द्वितीया 30 अक्टूबर रात्रि 03:48 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र - विशाखा रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग - आयुष्मान् शाम 03:04 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल - दोपहर 02:49 से शाम 04:23 तक
सूर्योदय - 06:40,   सूर्यास्त - 18:03
दिशाशूल - उत्तर दिशा


व्रत पर्व विवरण - चन्द्रदर्शन, भाईदूज, यम-भरत द्वितीया, विश्वकर्मा-पूजन
 
विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
         
                     हिन्दू पंचांग में भाईदूज


भाईदूज के दिन भाई, बहन के घर का ही खाना खाए। ऐसा करने से भाई की आयुवृद्धि होती है। पहला नेवाला बहन के हाथ से खाएं। स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन जो बहन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एवं उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है। अगर बहन न हो तो मुँहबोली बहिन या मौसी/मामा की पुत्री को बहन मान लें। अगर वह भी न हो तो किसी गाय अथवा नदी को ही बहन बना ले और उसके पास भोजन करे। कहने का मतलब यह हैं कि यमद्वितीया को कभी भी अपने घर भोजन नहीं करे।



 *आज के दिन बहन अपने भाई की 3 बार आरती जरूर उतारे।


*आज के दिन बहन भाई को तथा भाई बहेन को कोई न कोई उपहार जरूर दे स्कंदपुराण के अनुसार विशेषतः वस्त्र तथा आभूषण। आज के दिन भाई बहन का यमुना जी में नहाना भी बहुत शुभ है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना जी में स्नान करने वाला पुरुष यमलोक का दर्शन नहीं करता।


नारदपुराण के अनुसार


 ऊर्ज्जशुक्लद्वितीयायां यमो यमुनया पुरा ।।
भोजितः स्वगृहे तेन द्वितीयैषा यमाह्वया ।।
पुष्टिप्रवर्द्धनं चात्र भगिन्या भोजनं गृहे ।।
वस्त्रालंकारपूर्वं तु तस्मै देयमतः परम् ।।
यस्यां तिथौ यमुनया यमराजदेवः संभोजितो निजकरात्स्वसृसौहृदेन ।।
तस्यां स्वसुः करतलादिह यो भुनक्ति प्राप्नोति रत्नधनधान्यमनुत्तमं सः ।।


कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्वकाल में यमुनाजी ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था, इसलिए यह 'यमद्वितीया' कहलाती है। इसमें बहेन के घर भोजन करना पुष्टिवर्धक बताया गया है। अतः बहेन को उस दिन वस्त्र और आभूषण देने चाहिए। उस तिथि को जो बहेन के हाथ से इस लोक में भोजन करता है, वह सर्वोत्तम रत्न, धन और धान्य पाता है ।
        


    भाई दूज
कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 29 अक्टूबर, मंगलवार को है। यह पर्व भाई-बहेन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन बहेन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस पर्व का महत्व इस प्रकार है-
     
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके भोजन कराया था। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे यह वर दिया था कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। 
सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा है उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। 
यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और  यमुना और यमराज की पूजा करने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।


भाई की उम्र बढ़ानी है तो करें यमराज से प्रार्थना


 सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। 


बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें और प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें।
  
इसके बाद बहन भाई को भोजन कराती हैं। भोजन के बाद भाई को तिलक लगाती है। इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट देता है। जिसमें स्वर्ग, आभूषण, वस्त्र आदि प्रमुखता से दिए जाते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास भी प्रचलित है कि इस दिन बहेन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।





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